हरसूद में रहवासियों का दर्द नहीं थमा
नया हरसूद के रहवासियों की आखों में आज भी डूबते हुऐ हरसूद की यादें ताज़ा हैं। 15 वर्ष पूर्व इन्दिरा सागर हाईडल परियोजना की डूब में आने के कारण हरसूद के रहवासियों को जबर्दस्ती विस्थापित किया गया था। इन विस्थापितों का जीवन आज भी पीड़ाओं से भरा हुआ है। इन विस्थापितों को अपने कच्चे मकानों से हटा कर नये हरसूद के पक्के मकानों में शिफ्ट किया गया था। विस्थापन के बाद इन लोगों को पता चला कि पक्के मकानों के अलावा अन्य वादों के मुताबिक सुविधायें एकदम शून्य।
इन विस्थापितों को आज भी पछतावा हो रहा है। विस्थापन के वक्त दी गई अल्प सुविधायें भी रख-रखाव के अभाव में खत्म हो चुकी हैं। अब सरकार भी इन सुविधाओं के रख-रखाव में आलसी रवैया अपना रही है और विकास कार्य ठप्प पड़े हैं।
आमतौर की तरह दलालों और सरकारी अधिकारियों ने विस्थापन के दौरान जमकर फायदा उठाया और हरसूद के गरीब वासियों को और ज्यादा गरीबी में छोड़ दिया। पूर्व के हरदूसर विस्थापन से सबक लेते हुये और सरकारी ऐेजेन्सीयों के लैतलाली भरे रवैये को परखते हुये महेश्वर हाईड्रो इलेक्टिªक प्रोजेक्ट अधिकारियों ने विस्थापन हेतु चुने हुऐ गांवों की आबादी की विस्थापना की पूर्ण योजना में इन्हें शामिल किया है।
विस्थापन का कार्य व्यवस्थित रूप से इस 400 मे.वा. महेश्वर हाईडिल प्रोजेक्ट में किया जा रहा है। विस्थापन का कार्य एक-एक गांव करके किया जा रहा है और बाकी गांव वासियों को इस प्रक्रियां में सम्मिलित किया जा रहा हैं। कई गांव वासियोंने व्यवस्थापन स्थल पर बड़े पक्के मकान बना लिये हैं और इज्जत की जिन्दगी जी रहे हैंं। ये मकान इनकी दो कमरे के टपरों से बहुत बड़े हैं परिवार के सदस्यों के पास अब अलग-अलग कमरे हैं और घर के अन्दर ही टायलेट हैं। अब इन्हें शौच हेतु खेतों में भी नहीं जाना पड़ता है।
राम सिंह केवट व उनका परिवार आज पांच कमरे के मकान में रह रहें है। उनके विवाहित पुत्र के लिये अलग से कमरा है। राम सिंह और उनकी पत्नी मास्टर बैडरूम में रहते है और उनका एक अविवाहित पुत्र भी एक अलग कमरे में रहता है। शाम को पूरा परिवार एक साथ हाल में चाय, नाश्ता करते हैं। एक साफ रसोई में सबका खाना बनता है। परिवार कई सालों से एैसे साफ वातावरण में रहने का सपना देख रहा था। नानू भी हाल ही में अपने परिवार के साथ विस्थापित हुआ है। वह शाम से वैध पक्के मकान में रह रहा है जहां पर बिजली है और घर में ही नल का पानी आता है। नानू ने बताया कि अब उसका परिवार बहुत खुश है। पहले बारिशों में गॉंव में पूरी कीचड़ भर जाती थी। और शौच के लिये परिवार वालों को अन्धेरे में दूर खेतों में जाना पड़ता था।
लेपा, पीताबाली, बाहेगांव, जालोद, तेलियान के रहवासी भी अब खुशी से रह रहे हैं।
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